आज माहौल दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का खूंरेज़ है
है हलाकू कोई, कोइ चंगेज़ है
गैर के रंग में, रंग गठलोग सब
आज हर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€, लगता अà¤à¤—रेज़ है
शहीदे वतन का नहीं कोई सानी
वतन वालों पर उनकी है मेहरबानी
वतन पर निछावर किया अपना सब कà¥à¤›
लड़कपन का आलम, बà¥à¤¢à¤¼à¤¾à¤ªà¤¾, जवानी
अब हमें टाटा का तोहफा, खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ मिल जाà¤à¤—ा
इक रतन, खà¥à¤µà¤¾à¤¬à¥‡-रतन का, दिलरà¥à¤¬à¤¾ मिल जाà¤à¤—ा
हर जवाà¤, बचà¥à¤šà¥‡ व बूढ़े, मरà¥à¤¦ या खातून(सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€) को
सैर की खातिर खिलौना, अब बड़ा मिल जाà¤à¤—ा
होता नहीं है पà¥à¤¯à¤¾à¤° à¤à¥€ अब पà¥à¤¯à¤¾à¤° की तरह
करने लगे हैं लोग ये बà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤° की तरह
सूखे गà¥à¤²à¤¾à¤¬, अधजले तसà¥à¤µà¥€à¤° और ख़à¥à¤¤à¥‚त
चूमे गठकà¤à¥€ लबो रà¥à¤–सार की तरह
Woh Arman Ab To Niklenge,
Rahe Jo Muddton Dil Mein,
Khuda Ke Fazl Se Chalne,
Laga Mera Kalam Kuchh Kuchh.
By Satish Shukla “Raqeeb”
दौलत का चंद रोज़ में यूं जादू चल गया,
कल तक जो आदमी था वो पतà¥à¤¥à¤° में ढल गया,
मैं तो गमे-हयात से बेज़ार बैठा था,
आई जो तेरी याद मेरा जी बहल गया,
ये न हरगिज़ सोचना तà¥à¤®, हम कमाने आठहैं
अब तलक जो à¤à¥€ बचाया है, लà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡ आठहैं
à¤à¤• हो जाà¤à¤‚गे जिसà¥à¤®à¥‹-जाठफक़त à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ से
दो दिलों में पà¥à¤¯à¤¾à¤° की शमआ जलाने आठहैं
तà¥à¤® लाजवाब थे और लाजवाब हो
ये किसने कह दिया तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ तà¥à¤® ख़राब हो
कलियों सा ढंग है, फूलों सा रंग है
और चाà¤à¤¦ की तरह, तà¥à¤® पà¥à¤°-शबाब हो
ख़ामोश रहेंगी पीपल पर, बैठी हà¥à¤ˆ ये चिड़ियाठकब तक
और फूल बनेंगी गà¥à¤²à¤¶à¤¨ में, अरमानो की कलियाठकब तक
तà¥à¤® दिल पर अपने हाà¤à¤¥ रखो,फिर बोलो कà¥à¤¯à¤¾ आसान है ये
कैसे मैं गà¥à¤œà¤¾à¤°à¥‚ठदिन तà¥à¤® बिन,सूनी रखूठये रतियाठकब तक
नदी किनारे पानी में लड़की à¤à¤• नहाती है
देख देख के अपने आप को शरमाती लाजियाती है
खेल रही है वो पानी से और उससे पानी
à¤à¤¸à¤¾ लगता है जलपरियों की कोई रानी
गोरे गोरे बदन से उसके निकल रहे हैं शोले
डोल रही है उसकी जवानी खाती है हिचकोले