दीन दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ धरà¥à¤® का अंतर मिटा दे,
जोत इंसानी मोहबà¥à¤¬à¤¤ की जला दे,
ठखà¥à¤¦à¤¾ बस इतना तूठमà¥à¤ पर रहम कर,
दिल में लोगों के मà¥à¤à¥‡ थोड़ा बसा दे,
पà¥à¤¯à¤¾à¤° à¤à¤²à¥‡ कितना ही कर लो, दिल में कौन बसाता है!
मीत बना कर जिसको देखो, उतना ही तड़पाता है!
मेरा दिल आवारा पागल, नगमें पà¥à¤¯à¤¾à¤° के गाता है!
ठोकर कितनी ही खाई पर बाज नही यह आता है!