मसà¥à¤¤ समा है रात जवां है मय है सà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥€ छलकी à¤à¥€,
पीने वालो जी à¤à¤° पी लो आज ही पी लो कल की à¤à¥€,
आज है अपना रात है अपनी आज मना लो जसà¥à¤¨ कोई,
कल को जाने कà¥à¤¯à¤¾ हो जाठकिसको खबर है पल की à¤à¥€
By Ganesh Bihari “Tarz Lucknowi”
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