वो आज à¤à¥€ वैसा है जिस रंग में वो कल था!
वो हà¥à¤¸à¥à¤¨-तिलिसà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥€ जो आंख से चंचल था!
हो दिल-फ़रेब जलà¥à¤µà¥‡ तो कोई कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना बहके!
अटà¥à¤•ा जहा था à¤à¤à¤µà¤°à¤¾,हà¤à¤¸à¤¤à¤¾ हà¥à¤† कमल था!
हà¥à¤¸à¥à¤¨à¥‹-जवानी तो है मोहà¥à¤¤à¤¾à¤œ ना महलो की!
वो शाह à¤à¥€ फूलो का मिलà¥à¤¤à¤¾ जहा दल-दल था!
बसà¥à¤¤à¥€ नही थी कोई, रहते थे बीया-बाठमें!
सà¥à¤•ून की वादी थी, कहने को तो जंगल था!
जब यार था पेहलू में, हर कैफ़ियत थी पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€!
कांटो का बिछोना à¤à¥€ इक रेशमी मल-मल था!
हाथो की लकीरो से ना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ था न कम था!
जो à¤à¥€ हà¥à¤† मयसà¥à¤¸à¤°, अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ का फ़ज़ल था!