तà¥à¤® लाजवाब थे और लाजवाब हो
ये किसने कह दिया तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ तà¥à¤® ख़राब हो
कलियों सा ढंग है, फूलों सा रंग है
और चाà¤à¤¦ की तरह, तà¥à¤® पà¥à¤°-शबाब हो
पढ़ता रहा तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚, पढ़ता रहूà¤à¤—ा मैं
कल à¤à¥€ किताब थे, अब à¤à¥€ किताब हो
मैं तà¥à¤®à¤¸à¥‡ आशना, तà¥à¤® मà¥à¤à¤¸à¥‡ आशना
फिर आज शरà¥à¤® से, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आब आब हो
कà¥à¤¯à¤¾ नाम तà¥à¤®à¤•ो दूं , और कà¥à¤¯à¤¾ मिसाल दूं
तà¥à¤® आफताब हो, तà¥à¤® माहताब हो
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में लोग जो, दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ हों पà¥à¤¯à¤¾à¤° के
इक दिन ख़à¥à¤¦à¤¾ करे, उन पर अज़ाब हो
होते हà¥à¤ ‘रक़ीब’, तà¥à¤® दिल के हो क़रीब
तà¥à¤® पर करम ख़à¥à¤¦à¤¾, का बेहिसाब हो
By Satish Shukla “Raqeeb”
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