ये उनकी जà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ पल पल रà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ लगी है मà¥à¤à¥‡,
तराने ग़म के ज़िनà¥à¤¦à¤—ी सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ लगी है मà¥à¤à¥‡,
वो तो अब शायद आयेंगे नहीं लौटकर कà¤à¥€,
उनकी याद रोज आ के सताने लगी है मà¥à¤à¥‡,
जब से उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‹à¤‚ के दीये बà¥à¤à¤¨à¥‡ लगे हैं दिल में,
ये तनहाई कà¥à¤› कà¥à¤› रास आने लगी है मà¥à¤à¥‡,
उनके जाने का कà¥à¤› यूठअसर हà¥à¤† है “साहिल”,
हर सांस जैसे मौत के पास लाने लगी है मà¥à¤à¥‡,
By Sita Ram Jakhar “Sahil”