कà¥à¤¯à¥‹à¤ इशà¥à¤• की आग में जली ज़िनà¥à¤¦à¤—ी
कà¥à¤¯à¥‹à¤ हर पल गमों के संग पली ज़िनà¥à¤¦à¤—ी,
हम तà¥à¤® तो मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¿à¤° थे à¤à¤• ही कारवां के
कà¥à¤¯à¥‹à¤ मà¥à¤¶à¥à¤•िलों में तनà¥à¤¹à¤¾ चली ज़िनà¥à¤¦à¤—ी,
शिकायत है मà¥à¤à¥‡ इस पतà¥à¤¥à¤° दिल ज़माने से
कà¥à¤¯à¥‹à¤ रात दिन अशà¥à¤•ों में पिघली ज़िनà¥à¤¦à¤—ी,
शायद कोई फूल हमारी किसà¥à¤®à¤¤ मे था ही नहीं
कà¥à¤¯à¥‹à¤ काटों से इस कदर खिली ज़िनà¥à¤¦à¤—ी,
à¤à¤¸à¥€ ज़िनà¥à¤¦à¤—ी जी कर कà¥à¤¯à¤¾ करे, जिसमे तू नहीं
कà¥à¤¯à¥‹à¤ “राज” को à¤à¤¸à¥€ बेवफा मिली ज़िनà¥à¤¦à¤—ी !!
By Rajeev Sharma “Raj”