जिसà¥à¤® दो हैं मगर à¤à¤• है ज़िनà¥à¤¦à¤—ी,
ग़म à¤à¥€ दोनों का इक, दोनों की इक खà¥à¤¶à¥€,
मैं  हूठà¤à¤• चाà¤à¤¦ आकाश पर पà¥à¤¯à¤¾à¤° के,
और तू है  मेरी जाठमेरी चांदनी,
By Satish Shukla “Raqeeb”