कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो इंसानियत हैरान मेरे देश में
घूमते हैं शान से शैतान मेरे देश में
रोशनी की खो रही पहचान मेरे देश में
और अंधेरों की बड़ी है शान मेरे देश में
जिस तरफ़ देखो तबाही,खून का माहौल है
खो गई कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पà¥à¤¯à¤¾à¤° की पहचान मेरे देश में
इस क़दर नैतिक पतन होगा किसे मालूम था
आदमी हो जाà¤à¤—ा हैवान मेरे देश में
गà¥à¤®à¤¶à¥à¤¦à¤¾ हैं पासबां इंसानियत के आजकल
बॠरही है क़ातिलों की शान मेरे देश में
By Sukhvinder Singh
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Dear Singh Sahab,
Aapkee Ghazal achchhee lagee. Koshish Jari rakhen.
Raqeeb Lucknowi
mera bharat mahan